Thu, Mar 14, 2024

MURADABAD में सपा विधायक पिंकी समेत 10 नेता हिरासत में

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MURADABAD में सपा विधायक पिंकी समेत 10 नेता हिरासत में:बरेली में 100 कार्यकर्ताओं को पकड़ा; संभल हिंसा पर डिप्टी सीएम-अखिलेश गिरेबान में झांके

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MURADABAD संभल हिंसा का आज 7वां दिन है। संभल में हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं, लेकिन शनिवार को लखनऊ में संभल को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ गई। सपा डेलिगेशन के संभल जाने के ऐलान के बाद नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय के घर के बाहर फोर्स तैनात कर दी। पार्टी ने दावा किया कि सपा प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल को नजरबंद किया गया। डेलिगेशन में माता प्रसाद पांडेय समेत 5 सांसद और 4 विधायक शामिल थे।

माता प्रसाद पांडेय घर के बाहर आकर कार में बैठे, लेकिन पुलिस ने उनको वापस घर भेज दिया। नाराज माता प्रसाद ने कहा- हम किसी को भड़काते नहीं हैं। बिना किसी नोटिस के उन्होंने मेरे घर पर पुलिस तैनात कर दी। इसके थोड़ी देर बाद ही प्रशासन ने माता प्रसाद को संभल न जाने का नोटिस पकड़ा दिया।

सपा डेलिगेशन में जिन सांसद, विधायकों के नाम थे, उनके घर के बाहर पुलिस पहुंच गई। उधर, देर रात को संभल में डीएम ने धारा-163 लागू कर दी है। यानी, अब 5 लोग बिना अनुमति के इकट्‌ठा नहीं हो सकेंगे।

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने संभल हिंसा को लेकर कहा- अखिलेश यादव को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। संभल घटना सपा के संरक्षित अपराधियों की देन है। जो संभल के अपराधी हैं, वो सब समाजवादी हैं। अखिलेश यादव को माफी मांगनी चाहिए।

 

 

 

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हापुड़ के दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर स्थित टोल टैक्स पर कैराना की सपा सांसद इकरा हसन को पुलिस ने रोक दिया। 

मुरादाबाद में पूर्व मंत्री कमाल अख्तर, विधायक पिंकी यादव, मुरादाबाद जिला अध्यक्ष जयवीर यादव समेत करीब 10 सपा नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया है। इन सभी को मुंडा पांडे थाने ले जाया गया है। यह सभी पुलिस को चकमा देकर संभल जाने की कोशिश कर रहे थे।

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा-सपा प्रमुख अखिलेश यादव को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। संभल की घटना समाजवादी पार्टी के संरक्षित अपराधियों की देन है। जो संभल के अपराधी हैं, वो सब समाजवादी हैं। अखिलेश यादव को देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय के घर के बाहर लखनऊ मध्य के विधायक रविदास मल्होत्रा धरने पर बैठ गए हैं। वह सरकार की तानाशाही के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं।

संभल की असमोली विधानसभा से सपा विधायक पिंकी सिंह यादव ने X पर पोस्ट किया। उन्होंने कहा कि संभल में हुई हिंसा की जांच के लिए बनाए गए सपा प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं के घरों पर सरकार द्वारा पुलिस लगाकर उन्हें संभल जाने से रोकने की घटना घोर निंदनीय व अलोकतांत्रिक है।

नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद को नोटिस दिया गया है। माता प्रसाद ने खुद को नोटिस को पढ़ा। इसमें लिखा था कि कोई सामाजिक या आसामाजिक संगठन का आदमी संभल की सीमा में प्रवेश नहीं करेगा।

सपा के संभल दौरे को लेकर माता प्रसाद ने कहा-हमें लिखित नोटिस मिलना चाहिए। हमें कोई लिखित नोटिस नहीं मिला। न्याय आयोग, प्रेस के लोग वहां जा रहे हैं, अगर हम चले जाएंगे तो क्या वहां अशांति पैदा हो जाएगी? ये सरकार जानबूझकर अपने कार्यों पर पर्दा डालने के लिए हमें रोक रही है।

मुरादाबाद में सपा सांसद रुचिवीरा के घर भी पुलिस पहुंच गई है। बड़ी संख्या में महिला पुलिसकर्मी भी उनके घर के बाहर तैनात की गई है। रुचिवीरा भी सपा के उस डेलिगेशन का हिस है, जिसको संभल जाना था।

नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय घर से बाहर निकलकर आए। वह कार में बैठ गए थे, लेकिन उनको जाने नहीं दिया। नेता प्रतिपक्ष के पीआरओ ने बताया कि पुलिस ने वापस उनको घर में भेज दिया है।

संभल दौरे को लेकर सपा नेता रविदास मेहरोत्रा ​​ने कहा-भारी पुलिस लगा दी गई है। हिंसा में जिनकी हत्या हुई है उनके परिवार के लोग बहुत दुखी हैं। हम उनसे मिलकर सांत्वना देंगे। घायलों से मुलाकात करेंगे। हमारी मांग है की वहां के DM और SP को हटाया जाए और हाई कोर्ट के किसी वर्तमान न्यायाधीश से जांच कराई जाए। अगर हम लोगों को वहां जाने से रोका गया तो हम धरना करेंगे।

नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय घर के बाहर आ गए हैं। वह कार से निकल गए हैं। माना जा रहा है कि वह पार्टी ऑफिस जा सकते हैं। हालांकि, उन्होंने ऐसी कोई जानकारी नहीं दी है।

सपा ने दावा किया कि प्रतिनिधिमंडल के संभल जाने से योगी सरकार डर गई है। सत्ता के इशारे पर पुलिस ने प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल को घर में नजरबंद कर दिया। भाजपा संविधान और लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा रही है। हालांकि, पुलिस की तरफ से नजरबंद को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है।

अखिलेश यादव ने कहा-प्रतिबंध लगाना भाजपा सरकार की नाकामी है। ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार उन पर पहले ही लगा देती, जिन्होंने दंगा-फ़साद करवाने का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता। भाजपा जैसे पूरी की पूरी कैबिनेट एक साथ बदल देते हैं। वैसा ही संभल में ही करना चाहिए। किसी की जान लेने का मुक़दमा भी चलना चाहिए। भाजपा हार चुकी है।

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माता प्रसाद पांडेय ने कहा- संभल जाना होता तो चुपके से कहीं से चले जाते। लेकिन हमने प्रोग्राम भेजा। तो होम सेक्रेटरी संजय प्रसाद ने कहा आप वहां न जाइए। वहां अभी स्थिति बदल सकती है। फिर वहां के डीएम का फोन आया कहा- साहब यहां संभल न आइए। हम लोगों ने 10 तारीख तक प्रतिबंध बढ़ा दिए हैं। 10 तारीख तक न आएं।

मैं पार्टी कार्यालय जाऊंगा और तय करूंगा कि आगे क्या करना है। हम किसी को भड़काते नहीं हैं…उन्हें मुझे नोटिस देना चाहिए था, लेकिन बिना किसी नोटिस के उन्होंने मेरे आवास के बाहर पुलिस तैनात कर दी। भड़काने वाली भाषा तो केशव प्रसाद मौर्य की है। अगर वहां प्रेस के लोग जा सकते हैं। तो जो प्रेस बताती है वहीं बात अगर हम करेगे तो कैसे लोग भड़क जाएंगे।

सपा ने कहा-संभल में हुई हिंसा की जांच के लिए बनाए गए सपा प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं के घरों पर सरकार द्वारा पुलिस लगाकर उन्हें संभल जाने से रोकने की घटना, घोर निंदनीय व अलोकतांत्रिक है। भाजपा सरकार संभल हिंसा का सच छिपा रही है।

लखनऊ में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय के आवास के बाहर पुलिस फोर्स बढ़ा दी गई है। माता प्रसाद ने संभल जाने का ऐलान किया था। माना जा रहा है कि पुलिस उनको लखनऊ से रवाना होने से रोक सकती है।

सपा के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के संभल दौरे से पहले नेता प्रतिपक्ष और सपा विधायक माता प्रसाद पांडे के आवास के बाहर पुलिस बल तैनात किया गया है। सपा ने इसे प्रशासन की ओर से दबाव बनाने की कोशिश बताया है। पार्टी ने साफ किया है कि वे किसी भी दबाव में आए बिना अपने दौरे को पूरी मजबूती के साथ अंजाम देंगे।

डीएम संभल डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने 10 दिसंबर 2024 तक बीएनएसएस की धारा 163 लागू करते हुए निषेधाज्ञा जारी की है। इसके तहत बिना पूर्व अनुमति के 5 या अधिक लोगों का एकत्र होना प्रतिबंधित है। डीएम ने 25 पॉइंट का आदेश जारी किया है। इसमें खास पॉइंट…

1- कोई भी व्यक्ति पूर्व अनुमति लिए बिना 5 या इससे अधिक व्यक्तियों का किसी प्रकार का कोई जुलूस नहीं निकालेगा। न ही सार्वजनिक स्थान पर 5 या इससे अधिक व्यक्तियों का समूह बनाएगा।

2- कोई भी व्यक्ति जनपद संभल की सीमा के अंदर लाठी, डंडा, तेज धार वाले चाकू तथा नुकीले शस्त्र लेकर नहीं चलेगा और न ही किसी सार्वजनिक स्थान पर प्रदर्शित करेगा।

3. कोई व्यक्ति किसी खुले स्थान पर अथवा मकानों की छतों पर ईंट, पत्थर, बोतल, ज्वलनशील पदार्थ अथवा कोई विस्फोटक सामग्री जमा नहीं करेगा।

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नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय के संभल दौरे को लेकर मंडलायुक्त ऑन्जनेय कुमार सिंह ने कहा-जिलाधिकारी ने निर्देश दिया है कि फिलहाल यहां कोई न आए। यहां अब शांति है। हालात सामान्य हो रहे हैं। अगर कोई अभी आता है, तो यह भड़काऊ स्थिति पैदा कर सकता है। हमें उम्मीद है कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग हमारी बात को समझेंगे। हम किसी को रोकना नहीं चाहते। हम केवल स्थिति को सुधारना चाहते हैं। जब स्थिति सामान्य हो जाएगी, तब किसी का भी स्वागत है। यह सही समय नहीं है। मैं जोर देकर कहता हूं कि अगर वे अभी न आएं तो यह बेहतर होगा।

सपा विधायक और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने संभल दौरे को लेकर शुक्रवार देर रात कहा- मैं तीन दिन पहले संभल जाने वाला था। डीजीपी ने हमें फोन करके कहा कि तीन दिन तक न जाएं, तो हम नहीं गए। कल मैंने उन्हें फोन किया कि तीन दिन हो गए हैं और अब मैं जाना चाहता हूं। उन्होंने (डीजीपी) कहा कि ‘जुम्मा’ (शुक्रवार) है, इसलिए अभी न जाएं। हमने आज पूछ लिया है। अब शनिवार को मैं और मेरी टीम संभल जाएगी।

शुक्रवार को संभल की चंदौसी कोर्ट में सर्वे रिपोर्ट पेश नहीं हुई। एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने कहा कि 24 नवंबर को सर्वे के दौरान हिंसा हो गई थी, इसलिए रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई। इस पर कोर्ट ने सर्वे रिपोर्ट जमा करने के लिए 10 दिन का वक्त दे दिया।

संभल हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट के वकील और वादी हरिशंकर जैन और पार्थ यादव ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल कर अपनी बात रखी है।

हिंदू पक्ष ने हाईकोर्ट से मांग की है कि अगर मुस्लिम पक्ष कोई भी याचिका दाखिल करता है तो बिना हिंदू पक्ष को सुने कोई भी आदेश न पारित किया जाए। कैविएट संभल के सिविल जज के 19 नवंबर के सर्वे आदेश से जुड़े मुकदमे को लेकर दाखिल की गई है।

इस मामले में मुस्लिम पक्ष भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में जल्द ही सिविल जज के फैसले के खिलाफ अपनी अर्जी दाखिल कर सकता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संभल मामले में मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट में जाने को कहा है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में पुलिस अफसरों पर FIR दर्ज कराने को लेकर एक और याचिका दाखिल की गई है। यह याचिका हजरत ख्वाजा गरीब नवाज वेलफेयर एसोसिएशन महाराष्ट्र सचिव मोहम्मद यूसुफ ने दाखिल की है। उनका कहना है कि संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान विरोध में आई भीड़ पर एक पुलिस वर्दीधारी ने कहा कि सब लोग गोली चलाओ। इसके बाद अंधाधुंध गोली चलाते पुलिस को देखा गया, जिसमें 5 लोगों की मौत हो चुकी है। यह हादसा नहीं, हत्या है।

संभल हिंसा को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल यह दूसरी याचिका है। इससे पहले हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी। याचिका में हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में एसआईटी से जांच कराने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि संभल में पुलिस ने बर्बरता की है।

संभल मामले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट नहीं खुलेगी। इसके अलावा, ट्रायल कोर्ट यानी चंदौसी की सिविल कोर्ट को निर्देश दिया कि 8 जनवरी तक इस केस में कोई भी एक्शन मत लीजिए। शांति जरूरी है। दरअसल, गुरुवार को संभल मस्जिद की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। इसमें 3 मांग की गई थी।

संभल हिंसा की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन, 4 पॉइंट पर जांच होगी

संभल हिंसा की जांच के लिए राज्य सरकार ने गुरुवार को तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज देवेन्द्र कुमार अरोड़ा की अध्यक्षता में गठित आयोग दो माह में जांच पूरी कर रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा। रिटायर्ड आईएएस अमित मोहन प्रसाद और पूर्व डीजीपी अरविन्द कुमार जैन को आयोग का सदस्य बनाया गया है। आयोग गठन की अधिसूचना गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने जारी कर दी है।

जांच आयोग का गठन कर सरकार ने 4 पॉइंट पर जांच के निर्देश दिए हैं। हिंसा अचानक हुई या सुनियोजित थी। जिला प्रशासन और पुलिस की तरफ से हिंसा के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए किए गए प्रबंध। इसके अलावा, उन कारणों की पड़ताल जिसकी वजह से हिंसा हुई। आयोग सरकार को भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हो, इसके लिए सुझाव भी देगा।

1 दिसंबर तक संभल में बाहरी व्यक्ति नहीं आ सकेंगे, डीएम ने लगाई रोक

संभल में हिंसा के बाद अगले 5 दिन तक यानी 1 दिसंबर तक बाहरी व्यक्तियों के संभल में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। डीएम राजेंद्र पैंसिया ने बताया कि बाहरी व्यक्ति, सामाजिक संगठन और जनप्रतिनिधियों के जिले में आने पर रोक रहेगी।

 

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रविवार को दोबारा सर्वे के दौरान भड़की हिंसा

2 दिन पहले यानी रविवार सुबह 6.30 बजे डीएम-एसपी के साथ दोबारा से टीम जामा मस्जिद का सर्वे करने पहुंची थी। टीम देखकर मुस्लिम समुदाय के लोग भड़क गए। कुछ ही देर में करीब दो से तीन हजार से ज्यादा लोग जामा मस्जिद के बाहर पहुंच गए। पुलिस ने रोकने की कोशिश की तो कुछ लोगों ने पथराव कर दिया। इसके बाद हिंसा भड़क गई।

 

19 नवंबर को पहली बार हिंदू पक्ष की याचिका पर हुआ था सर्वे

संभल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में हिंदू पक्ष ने 19 नवंबर को याचिका लगाई। 95 पेज की याचिका में हिंदू पक्ष ने दो किताब और एक रिपोर्ट को आधार बनाया है। इनमें बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी किताब और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक 150 साल पुरानी रिपोर्ट शामिल है।

संभल की सिविल कोर्ट ने उसी दिन कमिश्नर सर्वे का आदेश दिया था। इस आदेश के कुछ ही घंटों बाद उसी दिन कमिश्नर टीम ने सर्वे किया था। सर्वे की रिपोर्ट एक सप्ताह में सौंपनी है। सिविल कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ जामा मस्जिद पक्ष ने अपील दाखिल की है। मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी।

संभल की मस्जिद का विवाद क्या है?

हिंदू पक्ष काफी वक्त से संभल की जामा मस्जिद की जगह पर पहले मंदिर होने का दावा कर रहा है। 19 नवंबर को 8 लोग मामले को लेकर कोर्ट पहुंचे और एक याचिका दायर की। इनमें सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णुशंकर जैन प्रमुख हैं। ये दोनों ताजमहल, कुतुब मीनार, मथुरा, काशी और भोजशाला के मामला भी देख रहे हैं।

इनके अलावा याचिकाकर्ताओं में वकील पार्थ यादव, केला मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी, महंत दीनानाथ, सामाजिक कार्यकर्ता वेदपाल सिंह, मदनपाल, राकेश कुमार और जीतपाल यादव का नाम शामिल है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ये जगह पहले श्रीहरिहर मंदिर हुआ करती थी, जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया।

संभल कोर्ट में हिंदू पक्ष ने याचिका लगाई। 95 पेज की याचिका में हिंदू पक्ष ने दो किताब और एक रिपोर्ट को आधार बनाया है। इनमें बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी किताब और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 150 साल पुरानी एक रिपोर्ट शामिल है।

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